HADOTI HULCHAL NEWS

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बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिला कलक्टर ने आदेश जारी किए, बाल विवाह की रोकथाम हेतु 181 कॉल सेंटर और पुलिस नियंत्रण कक्ष के 100 नंबर पर करे शिकायत

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झालावाड़। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार बाल विवाह अपराध है। जिला प्रशासन द्वारा बाल विवाह जैसी कुप्रथा की प्रभावी रोकथाम हेतु अक्षय तृतीया (आखातीज) पीपल पूर्णिमा जैसे पर्वों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। अन्य सावों पर भी विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह के आयोजन की संभावनाएं रहती है। इसे देखते हुए जिला कलक्टर डॉ. भारती दीक्षित के निर्देशानुसार गत वर्षाें की भांति बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम के लिए ग्राम एवं तहसील स्तर पर पदस्थापित विभिन्न विभागों के कर्मचारियों एवं अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों, वृत्ताधिकारियों, थानाधिकारियों, पटवारियां, भू- अभिलेख निरीक्षकों, ग्राम पंचायत सदस्यों, ग्राम सेवकों, कृषि पर्यवेक्षकों, महिला एवं बाल विकास के परियोजना अधिकारियों, पर्यवेक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, महिला सुरक्षा सखी शिक्षकों, नगर निकाय के कर्मचारियों, जिला परिषद् एवं पंचायत समिति सदस्यों, सरपंचों तथा वार्ड पंचो के माध्यम से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों का व्यापक प्रचार-प्रसार कर आमजन को जानकारी देते हुए जनजागृति उत्पन्न कर बाल विवाह रोके जाने की कार्यवाही की जाएगी।

बाल विवाह रोकने के लिए समाज की मानसिकता एवं सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाना आवश्यक है। इस संदर्भ में बाल विवाह की रोकथाम हेतु जन सहभागिता व चेतना जागृत करने हेतु कार्य योजना बनाकर कार्य किया जाना आवश्यक है। इसके लिए जिला व ब्लॉक स्तर पर गठित विभिन्न सहायता समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, महिला सुरक्षा सखी, साथिन, सहयोगिनी के कोर ग्रुप को सक्रिय किया जाएगा।

जिला कलक्टर ने निर्देश दिए हैं कि ऐसे व्यक्ति व समुदाय जो विवाह संपन्न कराने में सहयोगी होते है यथा हलवाई, बैण्ड बाजा, पंडित, बाराती, टेंट वाले, ट्रांसपोर्टर इत्यादि से बाल विवाह में सहयोग न करने का आश्वासन लिया जाये एवं उन्हें कानून की जानकारी प्रदान कर जागरूक किया जाये। जन प्रतिनिधियों व प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ चेतना बैठकों का आयोजन करवाया जाये एवं ग्राम सभाओं में सामूहिक रूप से बाल विवाह के दुष्प्रभावों की चर्चा की जाकर रोकथाम की कार्यवाही भी की जाये।

बाल विवाह रोकथाम हेतु किशोरियों, महिला समूहों, स्वयं सहायता समूहों व विभिन्न विभागों के कार्यकर्ता जैसे स्वास्थ्य, वन, कृषि, समाज कल्याण, शिक्षा विभाग इत्यादि के साथ समन्वय बैठकें आयोजित की जाकर इनके कार्मिकों को बाल विवाह होने पर निकट के पुलिस स्टेशन में सूचना दिए जाने हेतु पाबंद किया जाये।

विवाह हेतु छपने वाले निमंत्रण पत्र में वर-वधू के आयु का प्रमाण प्रिन्टिंग प्रेस वालांे के पास रहे अथवा निमंत्रण पत्र पर वर-वधू की जन्म दिनांक प्रिंट की जाये इस हेतु संबंधित बैठकें आयोजित कर कानून की पालना हेतु पाबंद किया जाये। साथ ही उपखंड कार्यालयों में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाये जो 24 घंटे क्रियाशील रहेंगे तथा नियंत्रण कक्ष का दूरभाष नम्बर सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा किया जाये।

बाल विवाह की रोकथाम हेतु 181 कॉल सेंटर पर तथा पुलिस नियंत्रण कक्ष के 100 नंबर पर कॉल कर कभी भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। विद्यालयों में बाल विवाह के दुष्परिणामों व इससे संबंधित विधिक प्रावधानों की जानकारी प्रदान की जाये इस हेतु सभी विद्यालयों को भी निर्देशित किया जाए।

गांव एवं मोहल्ले के उन परिवारों में जहां बाल विवाह होने की आंशका हो, समन्वित रूप से समझाया जाये यदि आवश्यक हो तो कानून द्वारा बाल विवाह को रोके जाने की कार्यवाही की जाए। समस्त उपखंड मजिस्ट्रेट एवं पुलिस उपाधीक्षक को निर्देशित किया गया है कि वे बाल विवाहों की रोकथाम के संबध मे अपने-अपने क्षेत्रों में समुचित कार्यवाही सुनिश्चित करें एवं सूचना प्राप्त होने पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत् कार्यवाही करें। बाल विवाहों के आयोजन किये जाने की स्थिति में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा-6 की उप धारा 16 के तहत् नियुक्त बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों (उपखंड मजिस्ट्रेट) की जवाबदेही नियत है। उनके क्षेत्रों में बाल विवाह सम्पन्न होने की घटना होने पर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।

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