बचाओ पवित्र तीर्थ शिखरजी, धर्म बचाओ तीर्थ बचाओ के साथ सड़को पर उतरा जैन समाज
संपूर्ण जैन समाज के सबसे बड़ा तीर्थ को बचाने के लिए पूरे देश में हो रहा विरोध प्रदर्शन
हाडौती हलचल न्यूज़ डिजिटल नेटवर्क
पिड़ावा। संपूर्ण देश के जैन समुदाय के आस्था के केंद्र व सबसे बड़े तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखरजी तीर्थ क्षेत्र बचाओ आंदोलन के तहत विशाल मोन जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान पिड़ावा की सकल दिगंबर जैन समाज के बेनर तले एतिहासिक मोन रैली के द्वारा अहिंसक रुप से विशाल मोन जुलूस निकाला गया। इस दौरान सम्पूर्ण पिड़ावा में जैन समाज ने सारे प्रतिष्ठान बंद रखकर विरोध जताया। सर्वप्रथम संपूर्ण जैन समाज महिला, पुरुष, बुजुर्ग, युवक, युवतियां व बच्चे हजारो की जनसंख्या में श्री सांवलिया पारसनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर मेंअपनी अपनी बाह में काले रंग की पट्टी बांधे हुए एकत्रित हुए। इसके बाद हजारों की संख्या में महिला, पुरुष, युवक, युवती व बच्चों के साथ विशाल मौन जुलूस शुरू हुआ। जो चौधराइन शहर मोहल्ला, सेठान महोल्ला, खंडपूरा, वीडियो चौराहा, नयापुरा, तलाई चौक होता हुआ उपखंड कार्यालय परिसर पहुंचा। यहां सभी समाज ने एक साथ झारखंड सरकार के होश में आओ के जोरदार नारे लगाए। जिससे पूरा उपखंड परिसर गूंज उठा। जिसके बाद समाज के पदाधिकारियों व प्रबुद्ध जनों ने सभी समाज जन को संबोधित करते हुए कहा कि श्री सम्मेद शिखर तीर्थ हमारा है हमारा ही रहेगा। झारखंड सरकार इसको पर्यटन स्थल घोषित नहीं कर सकती।
इसके बाद सकल दिगंबर जैन समाज अध्यक्ष अनिल चेलावत में सभी समाज जन का आभार व्यक्त किया। इसके पश्चात राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री, झारखंड मुख्यमंत्री के नाम उपखंड अधिकारी अभिषेक चारण को ज्ञापन सोपा। सकल दिगंबर जैन समाज ने ज्ञापन में बताया कि क्षेत्र बीस तीर्थंकरों एवं करोड़ों मुनियों की निर्वाण स्थली होने के कारण श्री सम्मेद शिखर का कण कण समस्त जैन समाज के लिए पूजनीय एवं वंदनीय है। 2 अगस्त 2019 को तत्कालीन झारखंड सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्रालय ने शाश्वत तीर्थ क्षेत्र सम्मेदशिखर को वन्यजीव अभ्यारण्य का भाग घोषित कर दिया गया है। इको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत पर्यावरण पर्यटन एवं अन्य गैर धार्मिक गतिविधियों की अनुमति देने वाली अधिसूचना बिना जैन समाज से आपत्ति एवं सुझाव लिए जारी कर दी है। इसका देश का समग्र जैन समाज सख्त विरोध करता है। सम्मेद शिखर की पवित्रता एवं स्वतंत्र पहचान को नष्ट करने के लिए झारखंड सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा जारी गजट नोटिफिकेशन को रद्द करवाकर पर्वतराज एवं मधुबन क्षेत्र को पवित्र जैन तीर्थ क्षेत्र घोषित करने की संपूर्ण जैन समाज मांग करता है।
ये है मुख्य मांगे
पारसनाथ पर्वतराज को वन्य जीव अभ्यारण्य, पर्यावरण पर्यटन के लिए घोषित इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत जोनल मास्टर प्लान व पर्यटन मास्टर प्लान, पर्यटन / धार्मिक पर्यटन सूची से बाहर किया जाएँ। पारसनाथ पर्वतराज को बिना जैन समाज की सहमति के इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत वन्य जीवअभ्यारण्य का एक भाग और तीर्थ माना जाता है लिखकर तीर्थराज की स्वतंत्र पहचान व पवित्रता नष्ट करने वाली झारखण्ड सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना क्र. 2795 (ई) दिनांक 02अगस्त 2019 को अविलंब रद्द किया जाए। पारसनाथ पर्वतराज और मधुबन को माँस-मदिरा बिक्री मुक्त पवित्र "जैन तीर्थस्थल" घोषित किया जाए। पर्वतराज की वन्दना मार्ग को अतिक्रमण, वाहन संचालन व अभक्ष्य सामग्री बिक्री मुक्त कर यात्री पंजीकरण, सामान जांच हेतु सीआरपीएफ, स्कैनर, सीसीटीवी कैमरे सहित दो चेक पोस्ट चिकित्सा सुविधा सहित बनाये जाए। पर्वतराज से पेड़ो का अवैध कटान, पत्थरों का अवैध खनन और महुआ के लिए आग लगाना प्रतिबंधित करने की मांग की।
प्रदेश में जैन बोर्ड का गठन करने की मांग जोरो पर
सकल दिगंबर जैन समाज पिड़ावा ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर राजस्थान में जैन बोर्ड का गठन करने की मांग की। ज्ञापन में बताया कि जैन समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय की श्रेणी में अधिसूचित किये जाने के उपरांत जैन धर्म, संस्कृति, धार्मिक धरोहरों (अतिशय क्षेत्र, सिद्ध क्षेत्र, तीर्थ क्षेत्र, प्राचीन मंदिर, नसियां) के संरक्षण के संबंध में कोई ठोस कार्यवाही नहीं की है। फलस्वरूप समूचे देश में अतिप्राचीन धार्मिक धरोहरों के विनष्ट करने के कुप्रयास निरन्तर हो रहे हैं। जैन धर्म की धरोहरों पर अनैनिक एवं अवैध तरीके से अवैध कब्जे, अतिक्रमण हो रहे हैं। जैन संतों पर आए दिन उपसर्ग हो रहे हैं। जैन संतों की चर्या यथा विहार और निहार में काफी परेशानियां सामने आ रही है। सकल दिगंबर जैन समाज पिड़ावा ने जैन समुदाय की संस्कृति, धार्मिक सम्पत्तियों (अतिशय क्षेत्र, सिद्ध क्षेत्र, तीर्थ क्षेत्र, प्राचीन मंदिर, नसियां) की सुरक्षा/संरक्षण, जैन आचार्यों-संतों की सुरक्षा एवं चर्या के संरक्षण हेतु राजस्थान में जैन बोर्ड का गठन करने की मांग की।
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