जैन पयुर्षण पर्व का आठवां दिन उत्तम त्याग धर्म
पिड़ावा। सकल दिगंबर जैन समाज के सानिध्य में दस लक्षण महापर्व के आठवां दिन बुधवार को उत्तम त्याग धर्म के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर सभी जिनालयो में अभिषेक, शांतिधारा, पूजन, दस लक्षण धर्म की पूजन श्रावक, श्राविकाये द्वारा भक्ति भाव के साथ की गई। प्रवक्ता मुकेश जैन चेलावत ने बताया कि जुना मंदिर नवीन जिनालय व श्री पारसनाथ दिगंबर जैन बड़ा मन्दिर में महाराज के प्रवचन का लाभ पूरे नगर को मिल रहा है।
43वां चातुर्मास कर रहे 108 श्री भूत बलि सागर महाराज ससंध ने दोपहर को जुना मन्दिर नवीन जिनालय में अपने प्रवचन में बताया कि साधु सन्तो के तो बारह महीने एक समान रहता है श्रावक श्राविकाओ के यह पर्व वर्ष में तीन बार आते हैं पर भादवा के पयुर्षण पर्व में श्रावकगण विशेष धर्म ध्यान करते हैं। उन्होंने उत्तम त्याग धर्म के बारे में बताया कि त्याग के बिना कोई धर्म जीवित नहीं रह सकता। जिसने भी अपने जीवन में त्याग किया है। वही चमकता है धर्म और आत्मा को जीवित रखने के लिए त्याग आवश्यक है। समस्त भोग विलास की वस्तु का त्याग करना ही मुक्ति का मार्ग है। अपने जीवन में खराब कार्यो और पापों का त्याग करना चाहिए। तभी मनुष्य जीवन की सार्थकता है। इतिहास साक्षी है कि भगवान श्रीराम, भगवान महावीर आदि महापुरुष अपने त्याग धर्म के कारण जनजन में पूजनीय और वंदनीय है। उत्तम त्याग धर्म के दिन श्री सांवलिया पारसनाथ वेदी नवीनीकरण के लिए रिषभ जैन ओशियर, अभय कुमार गेलानी, रीगल परिवार शेर महोल्ला, इशिका जैन नयापुरा, मुकेश जैन सागर टेस्ट, जिनवाणी महिला मण्डल, आदि भक्त जनों ने दान राशि देकर पुण्य लाभ अर्जित किया। रात्रि में आरती, भक्ति व सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत नवीन जिनालय जुना मन्दिर खण्डपुर में महा सति चेलना की भव्य नाटिका का मंचन किया गया।
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