पिड़ावा। सकल दिगंबर जैन समाज के तत्वाधान में 108 भूतबलि सागर महाराज, मुनि सागर महाराज, मोन सागर महाराज, मुक्ति सागर महाराज का 43वां चातुर्मास तप त्याग संयम के साथ आनंद पूर्वक चल रहा है। जिसमें नगर के श्रावक श्राविकाये व बाहर के श्रावकगण भी यहां पधार कर धर्म लाभ ले रहे हैं। समाज प्रवक्ता मुकेश जैन चेलावत ने बताया की नगर में प्रतिदिन प्रातः7 बजे मुनि सागर महाराज की छहढ़ाला शास्त्र की स्वाध्याय बड़ा मंदिर में व प्रवचन नवीन जिनालय खंडपुरा में चल रहे हैं। रविवार को महाराज प्रवचन करते हुए बताया की मोक्ष महल की प्रथम सीढ़ी सम्यक दर्शन है, सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र इन तीनों को रत्नत्रय कहते हैं। इन तीनों की एकता ही मोक्ष प्राप्ति का उपाय है, उन्होंने कहा कि प्राणी मात्र के प्रति दया का भाव होना अनुकंपा है, उन्होंने बताया की हमें जिनेन्द्र भगवान के द्वारा कहे गये वचनो में संदेह नहीं करना चाहिए और हमें धर्म क्षेत्र के कार्य में आगे बढ़ते रहना चाहिए। सम्यक दर्शन के आठ अंग निःशकित अंग, निःकाक्षित अंग, निर्विचिकित्सा अंग, अमूढ़ दृष्टि अंग, उपगूहन अंग, स्थितिकरण अंग, वात्सल्य अंग, प्रभावना अंग, इस प्रकार सम्यक दर्शन के आठ अंग होते हैं। इनमें से यदि एक भी अंग नहीं है तो वह संसार परंपरा का नाश नहीं कर सकता है।
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