झालावाड़। जिले के पिड़ावा जैन मुनि चतुर्थ काल के सन्त 108 भूत बलि सागर महाराज, मुनि सागर माहराज, मोन सागर महाराज, मुक्ति सागर महाराज श्री सांवलिया पारसनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में विराजमान है। जहां पर ग्रीष्म कालीन धर्म देशना के तहत प्रतिदिन नगर के श्रावक, श्राविकाओ को देव, शास्त्र, गुरु की पूजन महाराज के प्रवचन, मुनि राजो की आहार चर्या दोपहर में शास्त्र स्वाध्याय शाम को गुरू भक्ति व वेयावृति का पुण्य लाभ मिल रहा है। इस अवसर पर महाराज मुनि सागर ने गुरुवार को अपने प्रवचन में बताया कि स्वाध्याय परम कल्याणकारी, मंगलकारी और हितकारी है स्वाध्याय करने से साधक आत्मा के ज्ञान आवरणीय कर्म का क्षय होता है। स्वाध्याय करने से हमें नवीन ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह हमारे जीवन का प्रमुख सूत्र है, उन्होंने बताया की मनुष्य जन्म बहुत दुर्लभ है ,धर्म, सेवा, दान, पूण्य, परोपकार के कार्य करते हुवे अनमोल मानव जीवन को सार्थक बनाये। इस मनुष्य जन्म को पाने के लिए साक्षात देवता भी तरसते हैं। यह सभी व्रतों का मूल आधार स्वाध्याय है इसलिए यह परम तप है। स्वाध्याय करने से अज्ञान का नाश तथा ज्ञान की वृद्धि होती है इसलिए श्रावक, श्राविकाओं को प्रतिदिन स्वाध्याय करनी चाहिए। इस अवसर पर श्रावक, श्राविकाओं ने चातुर्मास के लिए पिड़ावा, आष्टा मध्य प्रदेश, सुसनेर जैन समाज ने भूत बलि सागर महाराज ससंघ को श्री फल भेंटकर चातुर्मास के लिए निवेदन किया। 12 जुलाई को चातुर्मास की स्थापना होने वाली है। इन 4 महीने में जैन साधु सन्त एक ही स्थान पर रहकर ध्यान लगाते हैं। प्रवचन देने व श्रावक, श्राविकाओं को मार्गदर्शन करते हैं। चातुर्मास खुद को समझने और अन्य प्राणियों को अभयदान देने का अवसर माना जाता है। प्रवक्ता मुकेश जैन चेलावत ने बताया की श्रुत पंचमी का पावन पर्व 4 जून को श्री भूतबलि सागर महाराज ससंघ के पावन सानिध्य में श्री पारसनाथ दिगंबर जैन जुना मंदिर नवीन जिनालय खंडपुरा में बड़ी धूमधाम से मनाया जायेगा ।
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