पिडावा। सकल दिगंबर जैन समाज के तत्वाधान में मंगलवार को भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण महोत्सव बड़े धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर पिड़ावा के सभी जिनालयों में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये गये। जैन समाज प्रवक्ता मुकेश जैन चेलावत ने बताया कि जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर श्री महावीर भगवान का निर्वाण कार्तिक अमावस्या को पावापुरी में हुआ था। इस अवसर पर पिड़ावा के श्री सांवरिया पारसनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर सहित 6 जिनालयों सहित कोटड़ी, श्री भक्तामर विश्वधाम डो़ला में भी निर्वाण लाडू चढ़ाये गये।
पिड़ावा के दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में 43 वां चातुर्मास कर रहे श्री भूतबलि सागर महाराज ससंध के पावन सानिध्य में प्रातः 8 बजे बड़े मंदिर में श्रावक श्राविकाओ ने उत्साह और भक्तिभाव के साथ अभिषेक, शांतिधारा, महावीर भगवान की पूजन, गोतम गणधर की पूजन कर निर्वाण के लाडू चढ़ाये गये। वही मन्दिर के दोनों शिखर पर चढ़ कर अमित जैन, बबी जैन द्वारा ध्वजारोहण किया गया। इसके बाद भूतबलि सागर महाराज ससंध श्री सांवलिया पारसनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर से दिव्य घोष के साथ खंडू पुरा स्थित जुना मन्दिर नवीन जिनालय पहुंचे। जहां महाराज जी के सानिध्य व बाल ब्रह्मचारी मन्जुला दीदी के कूशल निर्देशन में निर्वाण लाडू चढ़ाये गये व चातुर्मास निष्ठापन का कार्यक्रम कर कलश वितरण किये गये।
पिड़ावा जैसे श्रावक श्राविकाओं की भक्ति हम ने कहि नही देखी- भूतबलि सागर महाराज ससंघ
43वां चातुर्मास समाप्ति पर भूतबलि सागर महाराज जी ने प्रवचन देते हुए बताया कि अब हम किसी भी प्रकार के बन्धन में नहीं है आज से हमारा चातुर्मास समाप्त हो गया है और अब हम 28 अक्टुबर को भव्य रथ यात्रा के बाद कभी भी विहार कर सकते हैं, उन्होंने बताया कि यह 43वां चातुर्मास पिड़ावा नगर में ऐतिहासिक चातुर्मास रहा है और यहां जिस प्रकार श्रावक श्राविकाओं की भक्ति हम ने देखी है ऐसी भक्ति कहि देखने में नहीं आई है और इन चार माह में हमारे संध को जुकाम भी नहीं हुआ इस पर भी इन चार माह में जाने अंजाने में कुछ गलती हुई हो इसके लिए सबसे क्षमा सबको क्षमा करते हुवे मंगलमय आशीर्वाद प्रदान किया और निर्वाण महोत्सव का महत्व बताया कि आप लोगों को भगवान के दो कल्याणक जन्म कल्याणक व मौक्ष कल्याणक पर्व तो मनाना ही चाहिए, उन्होंने बताया कि इसी दिन भगवान महावीर स्वामी के प्रमुख गणधर इन्द्रभूति गोतम गणधर को भी केवलज्ञान हुआ था और दिव्य ध्वनि गिरी थीं। अन्त में चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुरेश गुरू ने सकल दिगंबर जैन समाज की और से श्री भुतबलि सागर महाराज ससंध से चातुर्मास चार माह में जाने अनजाने में गलतिया होने पर समाज जन ने क्षमायाचना मांगी।
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